खूबसूरती
खूबसूरती
खूबसूरती
कहीं पायल की झंकार में
कभी चूड़ियों की बाजार में
कहीं प्रियतम की अंगड़ाई में
कभी ममता की मनुहार में।
खूबसूरती....
कहीं समर्पण में
कहीं सेवा में
कहीं सादगी के लिबास में
हाँ कभी खामोशी बन
नारी के अनुपम श्रृंगार में ।
खूबसूरती ....
कभी निर्जन में
कहीं एकांत में
दो नयनों की परिभाषा बन
इस अनोखे संसार में।
