ख़ुशियों की बंजरता मिटाएं
ख़ुशियों की बंजरता मिटाएं
जब धरती के आंचल पर, बिखर जाती धूप
हर तरफ से चमकने लगता, इसका रंग रूप
मर जाते सब विषाणु, पेड़ पौधे जीवन पाते
पाकर धूप फिर से, मुरझाए पुष्प खिल जाते
यदि ना होता सूरज, जग में रहता अंधियारा
अंधियारे में भटकता रहता, ये संसार सारा
फैला है आज भी देखो, अंधियारा संसार में
भटक रहा हर मानव, खोकर पांच विकार में
सुख अनुभव ना होता, केवल दुख ही पाता
विकारों के जाल में, खुद ही उलझता जाता
अज्ञान अंधेरा ही, मुरझाहट जीवन में लाता
गीता ज्ञान प्रकाश ही, जीवन सुखी बनाता
आओ गीता ज्ञान से, आत्म ज्योति जगाएं
ख़ुशियों की बंजरता, जीवन से हम मिटाएं