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Goga Khullar

Abstract

4.4  

Goga Khullar

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खुश रहने के लिए

खुश रहने के लिए

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खुश रहने के लिए, रो कर दिखाना 

जरूरी तो नहीं ।

हर बात पर बेवजह, हंगामा मचाना ,

जरूरी तो नहीं ।


चलो रह ही गई होंगी कुछ कमियां 

उसकी कारीगरी में ।

बस उन्ही कमियों को उधेड़ कर दिखाना 

जरूरी तो नहीं ।


गर ढूँढोगे कलाकार तो कलाकार पाओगे, 

जब मांगोगे प्यार, तो प्यार पाओगे । 

इतनी शिद्दत से किसी को नीचा दिखाना  

जरूरी तो नहीं । 

खुश रहने के लिए, रो कर दिखाना 

जरूरी तो नहीं ।


किसी वक्त मैं भी जी भर कर आंसू बहाऊंगा 

यूँ हर समय झूठा मुस्कुराना 

जरूरी तो नहीं ।

बड़े चेहरे देखे हैं मैंने रंग बदलने वाले 

हर दफा उनकी बातों में आ जाना 

जरूरी तो नहीं ।


और मुराद है मेरी कि 

खुश रखना नासमझी से जिन्दगी जीने वालों को

 कि हर गुनाह की सजा यहीं पर पाना 

जरूरी तो नहीं ।


न जाने कितने ख्वाब सजाकर बैठ गया था मैं भी

उनका नजरें मिला कर, 

यूँ अदा से मुस्कुराना 

जरूरी तो नहीं । 


छोड़ दीजिये चंद गलतियों को, 

नादान समझ कर गौरव 

कि हर बात को आगे बढ़ाना 

जरूरी तो नहीं ।


और खुल कर जीना सीखिये जनाब 

इस छोटी सी जिन्दगी में 

हर बात पर, उम्र का तकाजा बताना 

जरूरी तो नहीं ।


खुश रहने के लिए, रो कर दिखाना 

जरूरी तो नहीं ।



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