खुली आंखों का सपना
खुली आंखों का सपना
मेरी इन आखों तले
बहत से सपने पले
ये सपने सोने नहीं देते
ये सपने रोने नहीं देते
ये सपने मुझमें स्फूर्ति भर देते
ये सपने हरदम चलने को हैं कहते
देख समय निकल रहा मुट्ठी से
एहसास दिलाते रहते हैं
मेरे सपने थोड़े अलग है जहां से
लाई हू समेट के जाने कहां से
सबके दिल में समाना है मुझे
परिवार का मान बड़ाना है मुझे
ईश्वर की इस रचना में कोई उदास ना हो
दुख का किसी को आभास मा हो
सबके आंसू पोच पाऊ मैं
सबके दुख दूर कर पाई मैं
बस ईश्वर इतनी शक्ति दो
सबके काम आऊ इतना मजबूत कर दो
जिस लिए ये मानव जन्म मिला
सिद्ध कर पाऊं बस इतना दे सिला
बस ये सपना साकार हो जाए
ईश्वर को मु हम दिखा पाए!