Anju Singh

Abstract

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Anju Singh

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खुद से मुलाकात

खुद से मुलाकात

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एक दिन यूं ही बैठे बैठे

अचानक ऐसी बात हुई

बरसों बाद आज मेरी

खुद से मुलाकात हुई

जैसे खुद के लिए एक 

नई सुबह और रात हुई

खुद से खुद की दोस्ती की 

एक नई शुरुआत हुई


मैं खुद से मिली

खुद में ही खो गई

खुद से पहचान थी मगर

फिर भी अनजान थी

खुद को समझ कर भी 

खुद को ना समझ पाई थीं

पुरानी यादों को सोच 

मुझ में नई सी बात हुई

आज खुद से मुलाकात हुई


मैं खुद से मिल कर 

खुद ही मुस्कुराई

कभी खुद से ही 

दामन बचाई

उदास तन्हाइयों के बीच 

खुशी ढूंढ लाई

खुद से ही जब नजर मिलाई

नज़रों नज़रों में प्यार जताई

खुद पर मैं इतराई

खुद से ही मैं मिल आई


हमारे अंदर की आत्मा 

हमेशा कुछ कहती है

पर हम समय की बहती धारा में

निरंतर बहते रहते हैं

पर कभी-कभी

ऐसा क्षण आ जाता है

जब खुद ही हम अपने

रूह में उतर जाते हैं

ना मिटनें वाली खूबसूरत 

यादों में बंध जाते हैं

जिम्मेदारियों में फंसे हम

स्वयं को भूल जाते हैं

कई किरदारों में जीते-जीते

खुद को ही भूल जाते हैं

जब मुलाकात होती खुद से

खुद को समझ पाते हैं


जब खुद के अंदर

खुद को झांका

लफ्जों से कोई बात ना सही

आज रूह से मुलाकात हुई

खुद से मुलाकात अधूरी थी 

अब मुकम्मल हो गई

खुद के लिए जब समय निकाला

खुद से मुलाकात हो गई



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