The Stamp Paper Scam, Real Story by Jayant Tinaikar, on Telgi's takedown & unveiling the scam of ₹30,000 Cr. READ NOW
The Stamp Paper Scam, Real Story by Jayant Tinaikar, on Telgi's takedown & unveiling the scam of ₹30,000 Cr. READ NOW

Anju Singh

Abstract

4  

Anju Singh

Abstract

खुद से मुलाकात

खुद से मुलाकात

1 min
289


एक दिन यूं ही बैठे बैठे

अचानक ऐसी बात हुई

बरसों बाद आज मेरी

खुद से मुलाकात हुई

जैसे खुद के लिए एक 

नई सुबह और रात हुई

खुद से खुद की दोस्ती की 

एक नई शुरुआत हुई


मैं खुद से मिली

खुद में ही खो गई

खुद से पहचान थी मगर

फिर भी अनजान थी

खुद को समझ कर भी 

खुद को ना समझ पाई थीं

पुरानी यादों को सोच 

मुझ में नई सी बात हुई

आज खुद से मुलाकात हुई


मैं खुद से मिल कर 

खुद ही मुस्कुराई

कभी खुद से ही 

दामन बचाई

उदास तन्हाइयों के बीच 

खुशी ढूंढ लाई

खुद से ही जब नजर मिलाई

नज़रों नज़रों में प्यार जताई

खुद पर मैं इतराई

खुद से ही मैं मिल आई


हमारे अंदर की आत्मा 

हमेशा कुछ कहती है

पर हम समय की बहती धारा में

निरंतर बहते रहते हैं

पर कभी-कभी

ऐसा क्षण आ जाता है

जब खुद ही हम अपने

रूह में उतर जाते हैं

ना मिटनें वाली खूबसूरत 

यादों में बंध जाते हैं

जिम्मेदारियों में फंसे हम

स्वयं को भूल जाते हैं

कई किरदारों में जीते-जीते

खुद को ही भूल जाते हैं

जब मुलाकात होती खुद से

खुद को समझ पाते हैं


जब खुद के अंदर

खुद को झांका

लफ्जों से कोई बात ना सही

आज रूह से मुलाकात हुई

खुद से मुलाकात अधूरी थी 

अब मुकम्मल हो गई

खुद के लिए जब समय निकाला

खुद से मुलाकात हो गई



Rate this content
Log in

More hindi poem from Anju Singh

Similar hindi poem from Abstract