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Vandana Singh

Inspirational

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Vandana Singh

Inspirational

खुद को सहेज कर रखना प्रिय

खुद को सहेज कर रखना प्रिय

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खुद को सहेज कर रखना प्रिय!

माटी से नहीं, लौह की तुम हो बनी प्रिय

आता-जाता राह चलता

तुम्हे ना छू पाए प्रिय

तुम जलाकर भस्म कर देना उसे उसी पल

मोम से नही, अग्नि से हो तुम गढ़ी प्रिय

तुम जीवनदायनी, तुम निर्मला, 

तुम कोमल हृदय वत्सला हो

तुम प्रकृति, तुम सौंदर्य और तुम्ही

काली, चंडी, कमला हो

जो बात तुम्हारे वजूद पर आ जाय

तो तुम क्षण भर को ना सहना प्रिय

है तुमसे ये संसार, तुम किसी से ना डरना प्रिय

खुद को सहेज कर रखना प्रिय!

माटी से नहीं, लौह की हो तुम बनी प्रिय।


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