खुद को खर्चना होता है !
खुद को खर्चना होता है !
पैसे से
तुम घर खरीद सकते हो
महंगी चीजें खरीद सकते हो,
लेकिन यदि तुम खुद को
खर्च नहीं कर सकते,
तो घर को घर का रूप
नहीं दे सकते !
पैसे से तुम महंगे,
अनगिनत कपड़े खरीद सकते हो,
प्रसाधनों की भरमार लगा सकते हो,
लेकिन यदि तुम खुद को
खर्च नहीं कर सकते,
तो उन्हें सम्भालकर नहीं रख सकते,
कमरा, आलमीरा कबाड़ बन जाएगा !
पैसे से बच्चे के लिए तुम
आया रख सकते हो
उसे महंगे खिलौने दे सकते हो
लेकिन यदि तुम खुद को
खर्च नहीं कर सकते,
तो बच्चे के जीवन में माँ और पिता की
सार्थक परिभाषा नहीं होगी,
एक खालीपन उसके
अव्यक्त पलों में होगा।
कम पैसे में यदि तुम
स्वयं को खर्च करते हो,
तो बासी रोटी ताजी रोटी से
अधिक स्वादिष्ट होती है,
नमक-रोटी के आगे
पकवान फीके हो जाते हैं।
घर के हर कोने से
जब तुम्हारी खुशबू उठती है,
बच्चा खुद को विशेष नहीं
स्वाभाविक प्राकृतिक महसूस करता है !
पैसा ज़रूरी है,
लेकिन ज़िन्दगी को जीने के लिए
खुद को खर्चना होता है !
