खुद ही खुद से...
खुद ही खुद से...
दिलो-दिमाग थम से गये हैं ,
हाल हमारे बेहाल से हुये हैं ..
आप क्या समझो इस हालत-ए-दास्तान को,
खुद ही खुद से हम खफा से हो गये हैं ...
खयाल हमारे काफिर से हुये हैं ,
मन में हमारे तुफान से उठे हैं ..
आप क्या समझो इस हालत-ए-दास्तान को,
खुद ही खुदसे हम नाराज बैठे हैं .....
