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GOPAL RAM DANSENA

Abstract Tragedy Inspirational

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GOPAL RAM DANSENA

Abstract Tragedy Inspirational

खरा सोना

खरा सोना

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ये क्या आ ले आए

भूल हुई क्या चित्रगुप्त

इसके सारे सद् गुण

क्यों हो गये लुप्त !

सारे इन्सानियत के

इसमें भाव भरके

परिपूर्ण होना था इसे

अच्छाईयों का चुनाव करके।

खरा सोना का ये जीव

कहां बदल गया

अमृत होता भाग इसके

इसके कंठ तो सिर्फ गरल गया।

मानव चुप न रहा अब

पक्ष में अपने उत्तर दिया

सब सुनते रह गए

यम को भी निरुत्तर किया।

नाथ सद् गुणों से सजाया

अगर दुनियां का मेला है

तो फिर कहाँ से आया

भले बुरे का झमेला है I

दुनियां में जाकर देखो

इन्सानियत में बुरे फंसे दो चार हैं

दुनियां तो सिर्फ बनी

बुराई का गोल बाजार है I

अर्थ का धर्म, अर्थ ही धर्म

अर्थ बिना जीवन झंझा है

धर्म का अर्थ ,धर्म ही अर्थ

अर्थ धर्म का ही धंधा है I

राम ,रहीम और उनके गुण

सिर्फ मन्दिर, मस्जिद में जचते हैं

बाहर मानव, जीवन जीने के

बेतोड़ चक्रव्यूह रचते हैं।

आदि से अंत तक

जीवन में जिसके धन रहेगा

वहीं सबल, वहीं खरा सोना

वहीं हर पल प्रसन्न रहेगा।

जीवन मैंने शरीर संग जिया

जीवन जीने साथ निभाया

आत्मा निर्विकार अमर

आत्मा संग दोष कैसे आया ?


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