खंडहर
खंडहर
खंडहरों से आवाज यह आती
गीत अपने इतिहास का सदा सुनाते
जो जितना पुरातन उतना
सताया हुआ
धूल मिट्टी आंधी बारिश
का मारा हुआ
फिर भी जी जान से यह
है खड़ा हुआ
अपनी शान का बखान है कर रहा
मिलेंगे तुम्हें ऐसे बहुतेरे
मेरे हिंदुस्तान में
जो बसे हुए हैं
इस की जान प्राण में
कराते हैं याद उनको
जिन्हें कभी हम भुला ना सके
यह खंडहर बेजुबान
दास्तां सुनाते हैं सब की।