खिलौने
खिलौने
मिट्टी से बने हम सब
ईश्वर के हाथों से बने खिलौने ही तो है
फिर कैसा रूठना
फिर कैसा टूटना
रहो सदा मुस्कुराते
अपनों संग खुशियां मनाते
जो छोड़ चले अपने हमको
उनकी स्मृतियों को यादों में संजोते
एक दिन हमको भी जाना
नश्वर जग में किसका ठिकाना
फिर कैसी खींचातानी
बोलो सबको मधुर वाणी
धन दौलत नहीं काम आएगी
मानवता ही नाम कमाएगी
छोड़ सारे कुकर्मों को
नाता जोड़े सत्कर्मो से
क्योंकि
मिट्टी से बने हम सब
ईश्वर के हाथों से बने खिलौने ही तो है।
