टीचर जी
टीचर जी


छोटी -छोटी बातों पर
टीचर जी तुम डाँटो ना ।
बेवजह गुस्से में भर
हमारी बातों को काटो ना ।
थोड़ी सी तो हम बच्चे करते शैतानी
आपको क्यों होती इतनी हैरानी ।
कुछ बात हमारी भी
अब तो शांत हो सुनो ना ।
सीखेंगे हम बच्चे धीरे -धीरे
कुछ नए आयाम आप चुनो ना ।
किताबी कीट बनकर ही
सारे बच्चे सीखते हैं क्या ?
रटे किताबें हम ऐसे ही
कोई पढ़ाई भला होती क्या ?
गुट्टे ,लिट्टे ,कंकड़ खेले
खेले हम तो छुपन छुपाई ।
नाटक में हमारे बनते राजा -रानी
तो कोई बनते हैं चोर सिपाही ।
चित्रों की दुनिया हमको अति प्यारी
मित्रमंडली हमारी हैं सबसे न्यारी ।
अभी अभी सीखा हमने डायरी लिखना
अपने मन की बातों को पन्नों पर गढ़ना ।
आप हमें कभी सैर कराओ
कहानियों के संसार की ।
घुलती जिनमें कल्पनाएं नई
होती रोगी के उपचार सी ।
जब हँसते -गाते सीखे हम
तो आपके सिर का बोझ होवे कम ।