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monika kakodia

Romance

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monika kakodia

Romance

ख़ामोशी

ख़ामोशी

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मेरी हर ख़ामोशी को

वो ख़ामोशी से सुनता है

जो तस्वीर उसको भाए

वो रंग वो उनमें भरता है,

कहे, अनकहे रिश्ते को

वो दिल से लगाये रखता है

दबे पांव,चुप चाप

चला आता है,

दिल की गलियों की जानिब

और फिर देर तलक

आफ़त मचाता फिरता है।


बहुत तीरगी,वुसअत छाया है

जीस्त में मेरे,

हुनरमंद है वो हाथ मे मशाल लिए चलता है

मेरे हर्फ़ दर हर्फ़।

मेरी हर शय एहसानमंद 'जाना'

जो तहरीर दिल पर छाए,

उन अल्फ़ाज़ों को चुनता है,

मैं पाश पाश तार तार बिखरी जब जब ,

वो ख़ुदा सा मुझे अपनी अमान में रख लेता है।


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