ख़ालीपन
ख़ालीपन
तेरे अक्स को अपने कमरे की दीवार पर महसूस करती है,
तेरे दिए गुलाब में अक्सर तेरी ख़ुशबू का एहसास करती है।
तेरे साथ बिताएँ उन प्यारे लम्हों को अपनी यादों में संजोती है,
उन जज़्बातों को अश्कों की स्याही से कोरे कागज़ पर लिखती है।
अपने दिल से बात करती है, ख्वाबों में तुझसे मुलाक़ात करती है,
इस तरह तेरी गैरमौजूदगी में 'ज़ोया' अपने ख़ालीपन को भरती है।