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हरि शंकर गोयल

Romance Classics Fantasy

4  

हरि शंकर गोयल

Romance Classics Fantasy

खेल

खेल

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जा तो रहे हो तुम पर किधर जाओगे 

हमें इस तरह छोड़कर 

अकेले क्या रह पाओगे ? 


आंखों के काजल में देखो 

मेरे नाम का कलर मिलेगा 

मांग के सिंदूर, बिंदिया में 

मेरी उल्फत का असर मिलेगा 


लबों पर मेरे नाम की मिठास है 

गालों पर उलझन की खटास है 

मुस्कुराओगी तो मैं याद आऊंगा 

सीने में मेरे दबे दबे अहसास हैं 


रिश्तों की पायल बंधी है पैरों में 

सिमटी सी रहोगी वहां गैरों में 

कंगन मेरे गीत जब गुनगुनाएगा 

मेरी यादों से बचाने कौन आयेगा ? 


एक पल भी ना रह पाओगी बिन मेरे 

काटे नहीं कट पायेंगे अब दिन तेरे 

मैं ही तेरी दुनिया हूं अब सनम 

हम दोनों का साथ रहेगा हर जनम 


यह खेल खतरनाक है, मत खेलो 

बैठे ठाले गमों का बोझ मत झेलो 

हम तुम एक टीम के खिलाड़ी हैं 

प्यार के खेल मे दोनों ही अनाड़ी हैं।


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