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ca. Ratan Kumar Agarwala

Inspirational

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ca. Ratan Kumar Agarwala

Inspirational

कहाँ गया विश्वकर्मा?

कहाँ गया विश्वकर्मा?

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जग का किया निर्माण जिन्होंने,

करता हूँ मैं आज उन्हें प्रणाम।

दुःख संसार के हर लिए जिन्होंने,

सुखी वसुंधरा का किया निर्माण।

 

विश्व निर्माता थे बाबा विश्वकर्मा,

बनाए उन्होंने नदी और पहाड़।

हवा बनाई, बनाए सूरज, चाँद, सितारें,

पहले तो था यह सब एक उजाड़।

 

पेड़ दिए, दिए डालों पर फल फूल,

पंछी दिए और दिए उड़ने को पंख।

साज दिए, और दिए बजाने मृदंग,

संतों को भी दिए गूंजाने को शंख।

 

पूरी धरा थी सिर्फ बेजान मिट्टी,

धरती को सींचकर भर दिए प्राण।

जीवन का स्पंदन दिया धरा को,

जो थी पहले बिल्कुल निष्प्राण।

 

रचना करने की विधा दे दी,

मनुष्य को दी एक अलग पहचान।

विश्वकर्मा का दूत बनकर,

मनुष्य कर रहा आज निर्माण।

 

ब्रह्माण्ड का यह अद्भुत अभियंता,

पूरे संसार का यह कर्ता धर्ता।

कैसे गढ़ दी संसार की रचना,

पूरी सृष्टि का यह निर्माण कर्ता।

 

कुएँ बनाए, बनायी नदियां,

नदियों से बनता विशाल समंदर।

सारी गंदगियों को करता समाहित,

शिव का स्वरूप हो जैसे समंदर।

 

ब्रह्माण्ड का था पहला मजदूर,

लिया संसार को गढ़ने का प्रण।

श्रम करके बहाया अकूत पसीना,

पसीने से बना जल का कण कण।

 

प्रजापति से मिली यह जिम्मेदारी,

विश्वकर्मा ने बखूबी निभा दी।

दिन में दिया सूर्य का प्रकाश,

रात को अंधेरे की चादर बिछा दी।

 

ढक दिया धरा का नग्न शरीर,

पहना दिए सभ्यता के आवरण।

इंसान को दी सोचने की शक्ति,

और दिए व्यवहार और आचरण।

 

इंसान ने चुरा ली इनकी विद्या,

करने लगा धरती पर निर्माण।

धरती को कर रहा फिर निर्वस्त्र,

नष्ट कर रहा विश्वकर्मा का जहान।

 

धर्म के नाम पर रच दिए प्रपंच,

विश्वकर्मा को दिया मंदिर में स्थान।

ब्रह्माण्ड की रचना करने वाले की,

मूर्ति का ही कर दिया निर्माण।

 

कराह रही आज पूरी मानवता,

कराह रहा बाबा विश्वकर्मा।

तड़प रही आज पूरी धरती,

कहाँ गया मेरा बाबा विश्वकर्मा?

 

कैसा था यह सुनियोजित षडयंत्र,

एक निर्माण कर्ता का छीना मान।

ब्रह्माण्ड का कर रहे हैं विनाश,

विश्वकर्मा का कर रहे अपमान।

 

पूजा के प्रपंच से न होगी भक्ति,

पुनः निर्माण से होगी सही अर्चना।

लौटा दो जग को इसका स्वरूप,

करो एक सुंदर जग की संरचना।

 

विश्वकर्मा पूजा का दिन है आया,

कर रहा संसार उनको नमन।

पुनः स्थापित करेंगे उनका ब्रह्माण्ड,

आओ लें आज यही एक प्रण।



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