खामोश चीखें
खामोश चीखें
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वह रात का मंजर था
खामोश था, खामोश था
वो सब अपने ही थे
वह लुट रहे थे, टूट रहे थे
हम लुट रहे थे, हम टूट रहे थे
वो रात का मंजर था।।
टूटी चीखें चीख रही थी,
चीख रहीं थीं।
वो लुट रहे थे, टूट रहे थे।
खामोश चीखें " चीख चीख कर
खामोश हो गई।।
सब खामोश था।
सब खामोश है।