स्वतंत्रता ही शून्यता है और शून्यता ही स्वतंत्र
काल के क्रम में रही शून्य है, वो ही तो प्रकृति काल के क्रम में रही शून्य है, वो ही तो प्रकृति
हम लुट रहे थे, हम टूट रहे थे वो रात का मंजर था हम लुट रहे थे, हम टूट रहे थे वो रात का मंजर था