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Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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कदर

कदर

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जहां पर कदर न हो

वहां खाना नही चाहिये

जहां पर इज्जत न हो

वहां जाना नही चाहिये

जहां पर अपनत्व न हो

वहां गाना नही चाहिये

जहां पे सच्चा रिश्ता है,

वहां अक्षु पी लेना चाहिये

जहां पे मन न हो साखी,

वहां सांस न लेनी चाहिये

कदर मन से होती है,

रुपये से नही होती है

रिश्तों में गर मन हो तो,

कोई कमी न दिखती है

जहां पे रिश्ते में दर्द न हो

वहां एकपल रुकना न चाहिये!


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