STORYMIRROR

Govardhan Bisen 'Gokul'

Abstract

4  

Govardhan Bisen 'Gokul'

Abstract

कच्चा आंबा

कच्चा आंबा

1 min
180

देखो फागुनमा लग्या

कच्चा आंबा रे झाड़ला |

बाट  देखू  खान लाई

कब  आयेती  पाड़ला ||१||


पिवो  पन्हा  तपनमा 

जाये  उतर  झकार |

खावो आंबाकी चटनी

दुर होयेती  विकार ||२||


माय बनाव आमटी

कच्चो आंबीनकी मस्त |

मिलकर  आमी सब

करजन पुरी फस्त ||३||


मारो आंबाला झोड़पा

होय  जायेत  बेकाम |

तोडो  सकोटीलं आंबा

आये  रायतो को काम ||४||


तसो झोड़पाको काव्य 

मुल्यहिन भावात्मक |

अना सकोटीको काव्य 

बन  जासे दर्जात्मक ||५||


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract