कच्चा आंबा
कच्चा आंबा
देखो फागुनमा लग्या
कच्चा आंबा रे झाड़ला |
बाट देखू खान लाई
कब आयेती पाड़ला ||१||
पिवो पन्हा तपनमा
जाये उतर झकार |
खावो आंबाकी चटनी
दुर होयेती विकार ||२||
माय बनाव आमटी
कच्चो आंबीनकी मस्त |
मिलकर आमी सब
करजन पुरी फस्त ||३||
मारो आंबाला झोड़पा
होय जायेत बेकाम |
तोडो सकोटीलं आंबा
आये रायतो को काम ||४||
तसो झोड़पाको काव्य
मुल्यहिन भावात्मक |
अना सकोटीको काव्य
बन जासे दर्जात्मक ||५||
