STORYMIRROR

R.S ...

Fantasy

0  

R.S ...

Fantasy

कभी तो तेरे पास आऊ|

कभी तो तेरे पास आऊ|

1 min
289


देखती हूँ आसमान में ,तो पंछी संग उड़ जाऊ
चलती हूँ बाग़ में तो कोयल संग गीत गुनगुनाऊ
रूप बदल बदल कर मैं बस यही आस लगाऊ
कभी तो तेरे पास आऊ,कभी तो तेरे पास आऊ।।

समुद्र की गहराइयों को पार कर जाऊ
मंजिल मिले न मिले, एक रास्ता बन जाऊ
कैसे भी कर, तेरी इक झलक देख जाऊ
कभी तो तेरे पास आऊ,कभी तो तेरे पास आऊ।।

कुछ पलों को याद कर मैं आज भी मुकुराऊ
इन्ही याद़ो में आज एक नया गीत लिख जाऊ
फिर इन गीतों में झूम सी जाऊ
कभी तो तेरे पास आऊ,कभी तो तेरे पास आऊ।।

रात के अंधेरे में एक रोशनी बन जाऊ
चिड़िया के लिए तिनका तो भूखे के लिए रोटी बन जाऊ
हँसते हुए मासूम चेहरे को देखकर मन किया
आज फिर बच्चा बन जाऊ
हर रंग , हर रूप में तुझसे ही प्यार पाऊ

कभी तो तेरे पास आऊ, कभी तो तेरे पास आऊ ।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy