ज्योतिपुंज
ज्योतिपुंज
मैं तो तेरा ज्योतिपुंज हूँ, तुझ में मिलने आई हूँ
जो भी पाया इस जीवन में, सब अर्पण को लाई हूँ
भटक रही थी दर-दर मैं तो, छोटी सी नादानी कर
फेर लीं अंखियाँ काहे तूने, मुझ को कर घर से बेघर
सपने में आ भान कराया, तब से सो ना पाई हूँ
मैं तो तेरा ज्योतिपुंज हूँ, तुझ में मिलने आई हूँ
अलग-अलग रूपों में आकर, तूने अलख जगाई है
दुख का दरिया पार कराया, राह मुझे दिखलाई है
ज्ञान सरोवर में जब नाही, माया से लड़ पाई हूँ
मैं तो तेरा ज्योतिपुंज हूँ, तुझ में मिलने आई हूँ
मेरी रूह ने इस माया से, युद्ध किया है अति भारी
बात न मानी जब मन ने तब, रूह ने की फिर तैयारी
तेरे नाम की गोली देकर अब काबू कर पाई हूँ
मैं तो तेरा ज्योतिपुंज हूँ, तुझ में मिलने आई हूँ
हर क्षण हर पल याद रहे बस, अब तेरा ही नाम प्रभु
महिमा तेरी गाती फिरती, बस अब ये ही काम प्रभु
प्रेम स्वरूपी ज्योति जलाकर, अब तुझ से जुड़ पाई हूँ
मैं तो तेरा ज्योतिपुंज हूँ, तुझ में मिलने आई हूँ
आ बैठी सेवा में माही, अब तो पास बुला भी पले
अपने प्यारे प्रकाश पुंज को, खुद में आन भी समाले
तेरी ही रहमत से भगवान, जीत जंग यह पाई हूँ
मैं तो तेरा ज्योतिपुंज हूँ, तुझ में समाने आई हूँ