कौन करता है
कौन करता है
बेरंग घरों में बसर कौन करता है
मंजिल कितनी भी हसीन हो,
कांटों में सफर कौन करता है।
फ़कत मेरी ही नहीं,
जुबां सब की मीठी है,
बात मोहब्बत की फिर
भी यहाँ कौन करता है।
जिसे देखो,
बंदूक ताने हैं, सीने पर,
यकीं गाँधी में यहाँ
कौन करता है।
वो जो रोते है जनाजे पर,
डर है दुनिया के सितम का,
वरना जीते जी
इबादत कौन करता है।
