कैसे जाने दूं?
कैसे जाने दूं?
माना कि मेरा तुमपे हक़ पहला नहीं था,
तुमने पहले ही कह दिया था ये देश तुम्हारी पहली मोहब्बत है
बची खुची ही सही प्यार की बूंदें कुछ मुझपे भी गिरी थी,
अब सब भूल के तुमको कैसे जाने दूं?
ली थी जो सौगंध देश के लिए मर मिटने की,
तुमने निभाई पूरी नीयत से, आखरी दम भरने तक,
पर सौगंध तो मेरा साथ देने की भी थी, एक नहीं सात जन्मो की
अब सब भूल के तुमको कैसे जाने दूं?
माना कि शहीद की विधवा का दरजा नेक है,
शहादत ने तुम्हारी मुझे नई शख़्सियत दी है
मगर देश भक्त की सुहागन होने का गर्व भी खूब था,
अब भूल के उस ओहदे को, तुमको कैसे जाने दूं?
वो कहते है तुम कहीं दूर से मुझे देखते होगे,
मेरे आँसू तुम्हें तकलीफ देते होंगे,
मेरी खुशी की वजह तो छीन ही ली मुझसे
अब अपने गम का कारण भी भूल के तुमको कैसे जाने दूं?
तुम्हारे बाजुओं में देश की ताकत थी,
तुम्हारी यादों में ही अब हिम्मत मेरी है,
मिट्टी तुम्हारी जा हे चुकी है
यादों को भी अलविदा कह के तुमको कैसे जाने दूं?