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Dr Lalit Upadhyaya

Abstract

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Dr Lalit Upadhyaya

Abstract

कैसे है हम हुए स्वतंत्र

कैसे है हम हुए स्वतंत्र

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स्वतंत्रता के नाम पर हुए हम कैसे मुक्त,   

हम सभी है सामाजिक समस्याओं से युक्त।


दूषित आबोहवा से पंछी भी नहीं उन्मुक्त,

भ्रष्टाचारी कर रहे अपने चहेते नियुक्त।


दूषित नदियां और नाले,          

निर्मल जल का भ्रम हम पाले।       


कैसे साफ होंगे वो जाले,          

बुद्धि विवेक पर पड़े है ताले।      


जन भागीदारी की होगी बात,      

मेहनत करनी होगी दिन रात।       


एक दूसरे का थामेंगे हम हाथ,        

मिलेगा तब जन-जन का साथ।       


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