कैसे दिल की बात कहें
कैसे दिल की बात कहें
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पत्थर हो गए अब दिल सारे,
किस से दिल की बात कहें।
सूखी है हर शाख पे कलियाँ,
कैसे दिल की बात कहें।
डूबना उतराना ख़्वाबों में,
इस मन की चंचलता हैl
मिल जाता कोई ऐसा भी,
जिससे दिल की बात कहेंl
अरमां पूरे हो ना पाए,
बने दास्तां दर्द भरीl
‘दीप “ मिले हमराही कोई,
मिल के दिल की बात कहें l
जो अपने थे भूल गए हैं,
बातें सब एहसासों कीl
बनो सफ़र के साथी मेरे,
तुमसे दिल की बात कहें