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Goldi Mishra

Inspirational

4  

Goldi Mishra

Inspirational

कैंसर और उम्मीद

कैंसर और उम्मीद

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जो खोई है आस कभी तो मिलेगी,

कोशिश तो करो कहीं तो मिलेगी,।।

कैंसर बीमारी ना जाने मुझे कैसे हुई,

मेरे बालो के झड़ने से इस सिलसिले की शुरुआत हुई,

दिल ठहर सा गया था,

मेरा मन मेरे बस में नहीं था,


जो खोई है आस कभी तो मिलेगी,

कोशिश तो करो कहीं तो मिलेगी,।।

अपने करीब मुझे कोइ सुहाता ना था,

दिल मेरा तिल तिल बिखरता सा था,

एक पड़ाव पर पहुंच कर सर के सारे बाल चले गए,

मेरी जान मेरे अरमान वो खूबसूरत बाल सर से चले गए,


जो खोई है आस कभी तो मिलेगी,

कोशिश तो करो कहीं तो मिलेगी,।।

रिश्तेदारों ने मुझसे मिलना जुलना बंद कर दिया,

मैंने भी खुद को चार दीवारों में कैद कर लिया,

आइना निहारना मैंने बंद कर दिया,

सजना संवरना भी बंद कर दिया,


जो खोई है आस कभी तो मिलेगी,

कोशिश तो करो कहीं तो मिलेगी,।।

इस मुकाम पर आकर हकीकत का पता चला,

लोगो के झूठे चेहरों से मुखौटा था हटा,

एक तन्हा शाम खिड़की से मैंने उस पेड़ को देखा,

ऐसा लगा मैंने अपनी खोई हुई आस को कई दिनों बाद देखा,


जो खोई है आस कभी तो मिलेगी,

कोशिश तो करो कहीं तो मिलेगी,।।

उस पेड़ के सारे पत्ते झड़ चुके थे,

जो बाकी थी पत्ते वे भी मुरझाए से थे,

सब खो कर भी वो पेड़ था टिका,

फिर क्यों मेरा दिल हार था मान चुका,


जो खोई है आस कभी तो मिलेगी,

कोशिश तो करो कहीं तो मिलेगी,।।

अपनी बिखरी ज़िन्दगी को समेटना है जरूरी ,

परिस्थितियां जो भी हो उनका सामना करना है जरूरी,

एक सबक एक सीख मुझे इस रोज़ थी मिली,

जीने की एक नही हज़ारों वजह उस रोज़ मुझे थी मिली।



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