काव्य दर्पण - एक लम्हा
काव्य दर्पण - एक लम्हा
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हम ठहर क्या गए ज़रा
तुझे एक नज़र देखने को
कोई और लिखवाकर ले गया
तुझे किस्मत के बाज़ार से...।