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Basant Kumar

Drama

3  

Basant Kumar

Drama

काफिर

काफिर

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हैं काफिर तो क्या फिर जीने न दोगे,

खुदा के बिनाह पे सितम योँ करोगे !


ना मंदिर हैं जाते ना मस्जिद ही जाते,

ना आयत हैं पढ़ते न कलमा ही गाते। 

मगर ये बता दें हैं इंसा बराबर ,

जमीं का हैं खाते जमीं पे लुटाते !


लहू सुर्ख मेरा भी है तो बराबर,

कहो गर दिखा देंगे जख्म लगाकर !

मगर फिर न कहना के खंजर गलत है 

तुम्हे एल्म है के ये मंजर गलत है !


हैं काफिर तो क्या फिर जीने न दोगे

खुदा के बिनाह पे गला घोँट दोगे !


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