कामयाबी की सीख
कामयाबी की सीख
औरों के गलतियों से
जो सीखा वो है तालीम
खुद की गलतियों से जो
सीखा वो है तजुर्बा।
एक बिना दूजा -
जैसे बिन बरसात का श्रावण
कामयाबी मांगे
दोनों का संतुलित मिश्रण।
हर तरफ दौड़ मची हुई है
कामयाबी मांगे हर कोई
जख्म तो गेहरे झेलने होंगे
तौर तरीके पहले सीख।
जंग में जीतना है जरूरी
दाव पेच सीखना भी है जरूरी
जख्मों को पालना भी सीख
गिर के संभालना भी सीख।
जो मांगो मिलेगा वही
कायनात तेरा काम कर जाएगी
खुली आँख ख्वाब देखना सीख
ऊंची निगाहें लगाना सीख।
अपनी राहें अपनी ठोकरें
ठोकरों को गले लगाना सीख
कोई और जिम्मेदार नहीं
जिम्मेदारी खुद की लेना सीख।
हर बार मुमकिन नहीं होगी जीत
कईं हार के बाद एक होगी जीत
हार में हसना मुस्कुराना सीख
हार को जीत में बदलना सीख।
कल की बात कल पे छोड़
रोज नया सोचना सीख
दो कदम पीछे खींचना सीख
फिजा में फिर से उड़ना सीख।
अलग सोच और तंग राह
चुभते कांटे और जलता सूरज
चट्टानों के ख्वाब देखना सीख
कामयाबी का ताज पहनना सीख।
हर सूरज तेरा नहीं होगा
हर चाँद तेरा नहीं होगा
हालत पे काबू पाना सीख
सितारों से काम चलाना सीख।
खंजर से गहरे लफ़्ज़ों के घाव
गहरे घाव से निकलती चीख
तोल मोल के बोलना सीख
लफ़्ज़ों से हल निकालना सीख।
मक्कारी आसान लगे अक्सर
जंजीरों में होगी गुजर बसर
सच्चाई के इम्तेहान में भुनना सीख
इम्तेहान में अव्वल आना सीख।
वक्त बुरा तो रिश्ते बुरे
वक्त सही तो रिश्ते भी सही
अपने पराये पहचानना सीख
अपनों के संग रहना सीख।
रब ने दी है खूबसूरत जिंदगी
कायनात भी दी और दी है बंदगी
उसके इशारों को पढ़ना सीख
हँसते हँसते गुजरना सीख।