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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

"कामचोर,कुछ लोग"

"कामचोर,कुछ लोग"

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कुछ लोग मेहनत न किया करते

फूटे हुए घड़ो में पानी पिया करते

कुछ मेहनतकश लोगो के बीच मे,

खुद को हाथी दांत किया करते।


कुछ लोग मेहनतकश लोगो को,

कामचोरी गुण से मूर्ख गिना करते

पर बार-बार काठ की हांडी में,

मेहनती लोग नही उबला करते।


कुछ लोग मेहनत नही किया करते

मेहनती से कामचोर जला करते

पर जब यह उजाला होता है,न,

तब घने अंधेरे भी न टिका करते।


कुछ लोग ऐसे प्रदर्शन किया करते

उन्हें छोड़ दूजे कुछ न किया करते

कुछ लोग दिखावे में यूँ मरा करते

जैसे शीशे में अक्स कैद हुआ करते।


पर साखी कामचोरी करने से कभी,

किसी के नसीब नही बदला करते 

लगातार मेहनत,सच्ची लगन से ही,

अपने कदम,मंजिल से मिला करते।


पट कुछ लोग कामचोरी करके,

खुद को होशियार समझा करते

सूखे हुए किसी दरिया,समंदर में,

कभी कोई जहाज न चला करते।


सदा निःस्वार्थ कर्म करने से ही,

मंजिल के फासले कम हुआ करते

रात कितनी ही अंधेरी क्यों न हो,

उजाले ही सदैव विजय हुआ करते।


एक जलते हुए दीपक के सामने,

रात के अंधेरे हमेशा ही रोया करते

कामचोर कुछ वक्त भले ही खुश हो,

अंत मे मेहनती सितारे तोड़ा करते।


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