STORYMIRROR

Navin Madheshiya

Drama

2  

Navin Madheshiya

Drama

कालिख

कालिख

1 min
235

मैं कजरी हूँ, एक कालिख

सब इग्नोर करते मुझको

नहीं लेता कोई मुझसे सीख

पर नहीं की फिक्र मैंने।


करता रहा अपना काम

खुद को ही जला कर मैंने

रोशन किया सबका शाम

पर खुश हूँ मैं,



कि मेरी ही स्याही से

लिखा गया इतिहास।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama