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Sunil Gupta teacher

Inspirational Others

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Sunil Gupta teacher

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काल की अनिश्चितता

काल की अनिश्चितता

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एक सांस भी नहीं खुद मेरी,

वादा क्यों करूं मैं कल का।

 वो है मालिक मैं हूं नौकर,

 नौकर भी नहीं में पल का।।


राजा यहां बड़े हो गए,

सारे धरा में धरे रह गए।

मैं हूं छोटा भिखारी,

अकड़ महाजन हो गए।।


त्रिलोकी विजय कर दानव,

समझे अमर वो हो गए।

पता ना चला उन सब का,

 कब कल के बे हो गए।।


धरम का चोला ओढ़े,

समझे भगत बड़े हो गए।

पोल खुली जब उनकी,

 कारागृह के हो गए।।


मर्जी चली यहां किस की,

हुकूम दफा सब हो गए।

समझ में आई जब हमको,

नतमस्तक हम हो गए।।



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