कागज
कागज


पन्ने पर ना जाने क्या क्या छिपाएं रखा है,
इन्हीं कागजों पर मैंने कई राज लिखा है।
बचपन, जवानी और बुढ़ापे में भी साथ था,
इस कागज को मुझपर बहुत ही विश्वास था।
बचपन में सभी दोस्त घूमने जाया करते थे
कागज के नाव और जहाज बनाया करते थे।
कागज की नोट नहीं बस कागज में खुशियाँ थी,
बारिश में हर जगह कागज की कश्तियाँ थी।
ये सिर्फ बचपन का नहीं साथी उम्र भर का है
सुख और दुख में बिताएं हर एक पहर का है।
जवानी में एक लड़की से बेहद प्यार करता था,
पर दिल की बात उसे बताने से डरता था।
जिन कागज पर इजहार किया वो मेरे पास है,
पढ़ता हूँ जब भी एहसास होता कुछ खास है।
वो ना मिली पर एहसास कागजों में जिंदा है,
दिल फिर उड़ान भरें जैसे आजाद परिंदा हैं।
उम्र बीत गयी बस पेड़ के नीचे बैठा रहता हूँ,
दिल की बातों को कागज पर लिखता हूँ।
साथी सब चले गए उम्र के साथ छोड़कर
कागज पड़े है जैसे रखें थे मैंने मोड़कर।
ये कभी बच्चा तो कभी जवान कर जाते हैं,
कुछ बातें सिर्फ कागज पर ही लिखी जाती हैं।