"जय-जय भारत देश"
"जय-जय भारत देश"
माटी जिसकी चंदन जैसी,
हर वाला है,सिया समान।
हम उस देश के रहने वाले,
जहां खेलते थे, श्रीराम।
बड़े भाग्य मानुष तन पावा,
सुर दुर्लभ सब ग्रन्थन गावा।
नदियां यहां की कल-कल करती,
खूब बढ़ाती यहां की शान।
माटी जिसकी चंदन जैसी,
हर वाला है सिया समान।
अति प्रिय मोह यहां के वासी,
मम धामदा पुरी सुखरासी।
मानव रूप यहां पर धर कर,
आते यहां स्वयं भगवान।
माटी जिसकी चंदन जैसी,
हर वाला है सिया समान।
राम-श्याम की पावन धरती,
क्या शोभा का करें बखान।
लक्ष्मीबाई सी वीरांगना,
जो थी सभी गुणों की खान।
वीर शिवाजी यहां के नायक,
जिनने बढ़ाया देश का मान।
माटी जिसकी चंदन जैसी,
हर वाला है सिया समान।
हम उस देश के रहने वाले,
जहां खेलते थे श्रीराम।।
