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Pritam Roy

Romance Fantasy

3  

Pritam Roy

Romance Fantasy

जरूरत

जरूरत

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मैं पतंग हूं तू धागा है,

आसमान को जरूर छू लेता हूं,

लेकिन तेरा हाथ पकड़ के रखता हूं।

हवा के झोंके मुझे जिधर भी ले चलें,

तुम मुझे फिर से घर लेकर आती है।

तू जितना खुलते जाती है,

मैं उतना ऊंचाई को छूने लगता हूं।

कभी हाथ मत छोड़ना मेरा,

नहीं तो मैं भटक जाऊंगा कहीं,

कोई अनजान सा चौराहे में,

धूल से लथपथ गिरा हुआ मिलूंगा।

 तू हैं तो मैं आसमान को चीर सकता हूं,

तू नहीं है तो मेरा कोई वजूद नहीं।



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