भटके हुए हम
भटके हुए हम
मैं मुझे पहचान रहा हूँ,
अनजान सा मुझको, एक पहचाना सा सुर में।
पता नहीं कि तुझसे प्यार है या नफरत।
इतना फर्क नहीं होता है प्यार और नफरत में,
मुझे खुद को ढूंढने का तू दे इजाजत।
तुझे पा कर, मैं मुझसे मिलना चाहता हूं।
मैं मुझे पहचान रहा हूँ,
अनजान सा मुझको, एक पहचाना सा सुर में।
पता नहीं कि तुझसे प्यार है या नफरत।
इतना फर्क नहीं होता है प्यार और नफरत में,
मुझे खुद को ढूंढने का तू दे इजाजत।
तुझे पा कर, मैं मुझसे मिलना चाहता हूं।