ज्ञान के मोती
ज्ञान के मोती
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बहुत पा लिया पर कुछ न पाया
खुद से खुद का तालमेल न बैठाया
हम भी भूले जग भी भूला
न रहा सद्ज्ञान का झूला
आये यहाँ थे कुछ देने,
लेने में हो गए व्यस्त
जब सब ज्ञान ही भूले,
कैसे फिर होंगे मस्त
धरा का सब धरा पे रहना,
कर्तव्यपूर्ण बस यहा हैं करना
उदित हो जब ज्ञान के मोती
करुणा फिर जाग्रत होगी।