जंग
जंग
हर कदम हर राह
एक नयी जंग है
हर कदम हर राह
हमारी खुद से खुद की जंग है।
कभी समाज के रीति रिवाज
रुकावटें बनते हैं तो
कभी हमारा खुद का डर।
कब तक हम डरते रहेंगे
मत घबरा, मत डर समाज से
बस खुद को जीत ले
वही तेरी जीत है।
मत डर नारी,
जब तक हम डरेंगे
तब तक डराऐगी दुनिया।
हम क्युँ नहीं समझते
कि डर समाज का नहीं
हमारा खुद का डर है।
वो डर ही तो है
जिसे हमें हराना है
हमें खुद पर विजय पानी है
और हर डगर आसान हो जाएगी।।
