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Yogeshwar Dayal Mathur

Abstract

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Yogeshwar Dayal Mathur

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ज़माना

ज़माना

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पहले बाबा हमें पढ़ाते थे

अब हमारी बारी आई है

बच्चे बोले दादू आप नहीं 

अब स्कूल नहीं हम जाते हैं

ऑनलाइन पढ़ाई हो जाती है

आपका ज़माना तो बीत गया

अब नया ज़माना आया है


हमने भी महसूस किया

बहुत कुछ देखा जो बदला है

हमारा ज़माना तो बीत गया

अब नया ज़माना आया है


पहले सब्जी घी में बनती थीं

अब सब्जी का घी बनता है

पहले गेहूं में सिर्फ घुन पिस्ता था

अब सारा आलम पिस्ता है


पहले इकन्नी इतराती थी

आज रुपया भी शर्माता है 

पहले जो पैसों में मिल जाता था 

आज रुपया भी कम पड़ जाता है


बुजुर्गों के ज़बानी वादों को

पुश्तें पूरा कर देती थीं

बाबा का कर्ज चुकाने को

ख़ुद को गिरवी रख देते थे


असली दस्तावेज होने पर भी

आज जाली करार हो जाते हैं

अदालत का फैसला आते आते 

जवान बूढ़े हो जाते हैं

हमारा ज़माना तो बीत गया

अब नया ज़माना आया है


कुछ नया आविष्कार दिखाने को

वैज्ञानिक भी बहुत उत्साहित है

जड़ पोटेटो और फल टोमेटो

एक ही बेल पर लग जाए

पोमॅटो, उगाने की तैयारी हैं

 

पपीता बीजों वाला होता था

आज बीज रहित भी होता हैं

इसके बीज देखना चाहो तो

काली मिर्च में मिल जाते हैं


पहले शुद्ध ही मिलता था

आज सब मिलावटी होता है

सिर्फ शुद्ध ही लेना चाहो तो  

सारा बाजार घूमना पड़ता है


अनबन पहले भी होती थी

तहज़ीब से सुलझ जाती थी

आज बात सुलह की होती है

गालियों तक पहुंच जाती है


इस जमाने में जो महसूस किया

काफी उसपर लिख सकते थे

मन नहीं करा और लिखने का

लिखने से जिसे ख़ुशी न मिले 


पुरसुकूं ज़माना हमारा था

अफसोस अब वो गुज़र गया

जमाना हमने अब जो देखा है

तौबा है इस नए ज़माने से 


कैसे इसको तस्लीम करें ?

इसका हमें अंदाज़ नहीं

पर जीना है इसी जमाने में 

बेहतर है इसका एहतराम करें!


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