जमाना
जमाना
हा दोस्त ये ज़माना ऐसा ही है
अगर दिख रही तेरी कमियाँ बाहर
तो ये उसे कुरेदने बैठा ही है।
तू अपने मायने बदल दे
की तेरे बारें में कोन क्या सोचता है
तेरी खुशियों को बचा ले
ये ज़माना उनका फंदा बने बैठा है।
तेरी चप्पल और शर्ट के दाग से
ये तुझे परखने लगेंगे
तू इंसान कैसा है,
उसकी इन्हें कोई परवाह नहीं है।
ये जो लोग दिखावा करने
पब् और कलब में घूमते हैं
उनके कोट पेंट के भीतर झांक
अंदर से ये सब बिखरे पड़े हैं।
मत जा तू इनके हाव भाव पर
इनके दिल बिल्कुल खाली है
अरे... चाहे चिल्लर से ही भरी है
तेरे शर्ट की जेब इससे ज्यादा भारी है।
