जज़बात
जज़बात
इन्तजार वही करता है जिसमें सब्र होता है।
कामयाब वही होता है जिसमें हश्र होता है.
रास्तों की डगर पर पत्थरों से ठोकर वही खाता है।
जिसकी नजर में आसमां और दिल में जज़बा होता है.
गिर कर संभल ना सका जो वही अंत होता है।
मंजिले उन्हे ही मिलती है जो संभलना जानता है।
पत्थर हीर वही होता है जो तरश कर जाता है।
सफर वही तय करता है जो उम्मीदें पालता है।
इस दुनिया को समझ वही सकता है।
दर्द ए जिंदगी जो जीकर दिखाता है।
हम हमारी चाहत में वही होता है।
याद रखो जो मंजूर ए खुदा होता है।
