जिंदगी
जिंदगी
ख्वाब नहीं है जिन्दगी
यह तो झूठ-सच-वास्तविकता निचोड़ है
हर पल नए-नए खेल दिखाती
जो, उलझन-समस्या, सुख- दुख का गठजोड़ है।।
समझ गये तो तर गये यारों
नही तो, घर में चिंता-शोक का शोर है
जितनी बची है हँस कर काट लो
क्योंकि कल पर भूत- भविष्य की काली घटा घनघोर है।।
