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Taj Mohammad

Abstract Tragedy Others

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Taj Mohammad

Abstract Tragedy Others

जिंदगी में कितने सवाल है

जिंदगी में कितने सवाल है

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जिंदगी के कितने सवाल है।

कहीं मिलते नहीं ढूंढें बहुत ज़वाब है।।1।।


बात ना करो तस्वुर्र की तुम।

झूठे देखे रातों के सभी यह ख़्वाब है।।2।।


देखने से जी ना भरता कभी।

ये जन्नते खुदा का हुस्न ओ शबाब है।।3।।


चढ़कर हमेशा उतर जाती है।

इस दुनिया में धोखे की बस शराब है।।4।।


दिखने में बड़े खुश दिखते है।

अमीर कांटों से लगे फूल ए गुलाब है।।5।।


हमारा तो बस यही ख्याल है।

इश्क करना इस जिंदगी में बवाल है।।6।।


तुमको पूछना वही सवाल है।

जिनका कठिन होगा बस जवाब है।।7।।


मरने मारने की ना करो बात।

कब्रों में होता यूं बड़ा ही अजाब है।।8।।


तुम्हारा बोलो क्या मिजाज है।

हमारा तो हमेशा ही मस्त ए हाल है।।9।।


सबकी शर्मो हयां के खातिर।

होता बड़ा ही खास यह हिजाब है।।10।।


तुम बस अपनी सोचो यहां।

खुदा किसी का भी ना मोहताज है।।11।।


कहना तो अच्छा लगता है।

वाह वाह क्या यह महल ए ताज है।।12।।


ये खूबसूरती है जन्नत की।

वह लगती जैसे हूरों की सरदार है।।13।।


आकर देखना यूं तरतीब में।

बड़ा खास किया गया इंतिजाम है।।14।।


कौन रहा है जो तुम रहोगे।

सब ही यहां दुनिया में मेहमान है।।15।।


बेकार की लगी ये भीड़ है।

मदद को ना सब ही तमाशबान है।।16।।


समझना ना उसे दरबान है।

वह बड़ी कोठी का बड़ा नवाब है।।17।।


अपनी सोचो रहने की तुम।

परिंदों के लिए बड़ा आसमान है।।18।।


चुका देगा सबका ही उधार।

वह आदमी बड़ा ही ईमानदार है।।19।।


समझाने की जरूरत नहीं।

आदमी खुद ही बड़ा समझदार है।।20।।


लगा लेता हर सवाल है।

यह बच्चा तो बड़ा ही होशियार है।।21।।


आए हो तो मांग लो वहां।

ये तो रहमत ए खुदा का दरबार है।।22।।


सबका खयाल रखता है।

बड़ा ही अच्छा वह तो मेज़बान है।।23।।


कहीं भी मिलेगा ना यूं ऐसा।

जैसा हम सबका ये हिन्दुस्तान है।।24।।


इतना खामोश क्यूं रहते हो।

घर है यह ना कोई कब्रिस्तान है।।25।।


तुम भी मांग लो दुआओं में।

खुदा होता सब पर ही मेहरबान है।।26।।


उसको दिखाओ अपना काम।

वो हुनर का बहुत बड़ा कद्रदान है।।27।।


जिसने भी हक मारा दूसरों का।

जिंदगी भर रहता वो भी परेशान है।।28।।


धीरे से बोला करो राज की बात।

होते यहां तो दीवारों के भी कान है।।29।।


कोई भी ना पहचानेगा तुम को।

यूं महफ़िल में होंगे सभी अंजान है।।30।।


घड़ी क्या देखते हो बार बार।

सुनते रहो पहले नमाज ए अजान है।।31।।


रोज़े रखने को बड़ा बेकरार है।

पता है उसे खुशियों भरा रमजान हैं।।32।।


आदमी सबकी मदद करता है।

फिर क्यों दुनिया में बड़ा बदनाम है।।33।।


छा जाने को अब तैयार है।

मेहनत से जो बन गया हुनरबाज है।।34।।


ना पूछो खैरियत हमारी।

यह हाल ए जिंदगी शिकस्ता गार है।।35।।


कोई ना बच पाएगा उससे।

खुदा होता हर वक्त ही निगहबान है।।36।।


अजीब दास्तां है जिंदगी की।

बदनामी से पहले होता यहां नाम है।।37।।


डर खत्म हो गया महशर का।

काफिरों से हो गए सब मुसलमान है।।38।।


छोड़ दो ऐसे अय्याशी में जीना।

बड़े शौक ही होते गम का सामान है।।37।।


सबको सब ना मिलता है।

मुकम्मल होता नहीं कोई इन्सान है।।38।।


कोई ना फर्क बेटी हो या बेटा।

आने वाला हमारी दिल की जान है।।39।।


परेशान ना हो तू ऐ इन्सान।

खुदा होता सब का ही सायेबान है।।40।।


कौन देगा मजहबे कुर्बानी।

अली के जैसा ना अब खानदान है।।41।।


सेहत का ख्याल रखा करो।

दुनिया में जान है तो ही जहान है।।42।।


कसरत से याद करो मौत को।

जानी सभी की एक दिन जान है।।43।।


सब से दोस्ती ना किया करो।

ख़त्म हो जाती फिर ये पहचान है।।44।।


रसूले खुदा का क्या है कहना।

नबियों में आला उनका मकाम है।।45।।


ना मारो यूं जानवरों को इतना।

दर्द बताने को इनमें कहां जुबान है।।46।।


इश्क हुआ भी तो देखो कहां।

यार हमारा बड़े दुश्मनों की जान है।।47।।


अकीदा ना करना यूं उनका।

इन काफिरों का होता ना इमान है।।48।।


तुम्हारी मदद का शुकिया है।

आप पे हाजिर हमारी भी जान है।।49।।


रोज तिलावत किया करो तुम।

हर मर्ज की शिफा होती कुरान है।।50।।


हमको भी गले लगाओ कभी।

हम भी तो तुम्हारे बड़े कद्रदान हैं।।51।।


सभी अदब किया करो उनका।

अब ना सच्चे हाफिज ए कुरान है।।52।।


इस रिश्ते की बड़ी ही शान हैं।

बच्चा होता अपनी मां की जान हैं।।53।।


सभी उसको गलत समझते हैं।

यहां हकीकत से सब अनजान हैं।।54।।


घर आंगन की वो चिड़ियां है।

बेटियों तो होती पिता की जान है।।55।।


अच्छे से पढ़ लेना तुम आज।

सारी की मेहनत का इम्तिहान है।।56।।


सारे ही पढ़े-लिखे गुमनाम हैं।

अनपढ़ों की जमाने में पहचान है।।57।।


अगर बनारस की ये सुबह है।

तो बड़ी ही रंगीन अवध ए शाम है।।58।।


मीरा के गर श्री घनश्याम हैं।

तो शबरी को भी मिल गए श्रीराम हैं।।59।।


उसके बिन बताए जाने का।

हमको भी हुआ था बहुत मलाल है।।60।।


मशगूल है बस वक्त नहीं है।

और सब ही देने को तुम्हें तमाम है।।61।।


तुर्बत में अब जाके सोएगा।

जिंदगी में रहा जो बड़ा परेशान है।।62।।


ऐसे ही मिलने आ गए थे।

यूं कोई ना जरूरी तुमसे काम है।।63।।


देखो कैसे इसे सजाते हैं।

जैसे मरे हुए मुर्दे में अभी जान है।।64।।


बेकार बदनाम कर रहे हो।

अच्छा बड़ा मजहब ए इस्लाम है।।65।।


कहां रुक कर आराम करें।

बंजारों का कहां होता मकान है।।66।।


मिलने को सब ही मिलता है।

बस जाना तुम को उस दुकान है।।67।।


गरीब लड़का कलेक्टर बना।

देखो तो सब कितने ही हैरान है।।68।।


बड़ी मुश्किल से तुम्हें भूले हैं।

अब दिल को सुकून ए आराम है।।69।।


बच्चों को तुम अपने पढ़ाओ।

शायद हो जाए तुम्हारा यूं नाम हैं।।70।।


इतने भर से ही बैठ गए तुम।

अभी तो काम करने बड़े तमाम है।।71।।


लो मिल गई तुमको नौकरी।

तेरी मां की दुआ कर गई काम है।।72।।


ये इन बुजुर्गों का मामला हैं।

बच्चे जवानों का यहां ना काम है।।73।।


चेहरों पर सबके मुस्कान है।

निकला जो आज ईद का चांद है।।74।।


गरीबों की होती ख्वाहिश है।

अमीरों की ऐसी जिंदगी आम है।।75।।


लग्जिश है सब के कदमों में।

चलना बुजुर्गों का बड़ा मुहाल है।।76।।


होली का आया ये त्यौहार है।

बुरा ना लगाना यह रंग गुलाल है।।77।।


कभी-कभी ऊब जाता हूं मैं।

जिंदगी जीने में बड़े तामझाम है।।78।।


जाने से बचो यूं मयखानों में।

बड़ी मुश्किल से बनते मुकाम है।।79।।


आनी तो तय ये कयामत है।

बर्बाद होने को सारा ही ये जहान है।।80।।


गरीबी गुनाह जैसी होती है।

सब जिंदगियां ही शिकस्ता हाल है।।81।।


अंजाम पर अभी ना जाना।

अभी तो शुरू हुआ बस आगाज है।।82।।


इसमें सब का यही हाल है।

यह इश्क मृगतृष्णा जैसी प्यास है।।83।।


देखने का नजरिया होता है।

वरना अच्छी यहां हर एक आंख है।।84।।


तुम्हें ना पता ख्वाहिशों का।

तुमने सोचा और हाजिर सामान है।।85।।


हर जोड़ी खुदा ने बनाई है।

जमीन के लिए भी आसमान है।।86।।


होता या बड़ा नेक काम है।

सबको हंसाना बड़ा आसान है।।87।।


मरना तो होता आसान है।

जिंदगी को जीना ही इंतिहान है।।88।।


अभी तो आए हो बैठो जरा।

तुमसे जरूरी हमें कुछ काम है।।89।।


जिन्होंने किया यहां काम है।

सियासत में उनका बड़ा नाम है।।90।।


सारे जहां से सबसे अच्छा है।

अपना हिन्दुस्तान देश महान है।।91।।


दावत पर बुलाया है सबको।

मेहमानों के लिए ना इंतजाम है।।92।।


बहार आने वाली है फिज़ा में।

उड़ गए जो परिंदे वो नादान है।।93।।


डरते नहीं परिंदे उस शख्स से।

वह बाग का पुराना बागबान है।।94।।


अपने कम दाम दिया साहब।

इतने में तो खुद का नुकसान है।।95।।


वहां स्वाद लेकर देखना तुम।

मशहूर खाने की बड़ी दुकान है।।96।।


मत करो खुदाई की बात यूं।

खुदा देखेगा तुम्हारा ना काम है।।97।।


होगा ना कोई उन से प्यारा।

रसूले खुदा इस्लाम की जान है।।98।।


बहुत बोल रहे हो खिलाफ।

कटवानी क्या तुम्हें भी जुबान है।।99।।


नेकी करके दरिया में डालो।

अब जहां में दौलत का मान है।।100।।



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