STORYMIRROR

Kawaljeet GILL

Abstract

3  

Kawaljeet GILL

Abstract

जिंदगी की किताब

जिंदगी की किताब

1 min
181

जिंदगी की किताब को हमने पढ़ा है

इतने ध्यान से,

कोई और पढ़ी हुई किताब याद ही नही रही,

यू तो किताबी कीड़ा का किताब मिल गया था मेरे अपनो से,

वो सब तो शिक्षा की किताबें थी जब तक शिक्षा जारी थी किताबे भी हाथ मे थी,


फिर हम खो गए अपने ही काम की धुन में,

पढ़ लेते थे अपने पसंदीदा नावेल गुलशन नन्दा द्वारा लिखित हुए,

उनके हर नावेल उनकी कहानियां दिल को छू जाती थी,

पर वो भी कुछ समय का शौक था जो वक्त के साथ छूट गया,


अरसा गुजर गया किसी किताब को छुए हुए,

ना ही कभी कोई कविता पढ़ी ना ही कोई कहानी,

फिर ये लिखने का हुनर हमको कहाँ से मिला ये रब ही जाने,

सच कहें तो अपनी लिखी बाते भी हमको याद नही रहती,


याद नही हमको अब वो किताब जो हमको कभी पसंद थी,

अब तो बस कलम चलती है और थमती नही,

बुरा ना मानो दोस्तो थोड़ा सा वक्त चुराते है हम अपना शौक पूरा करने को,

वरना सच तो ये है कि रास नही आता मेरे अपनो को मेरा ये शायरी लिखना ।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract