जिंदगी की भीड़
जिंदगी की भीड़
भीड़ के पीछे चलना मुझे कभी भाया नहीं
चकाचौंध में दौलत की मैं कभी आया नहीं
लोग सब कारवां बनाकर चलते रहे मगर
रंगीनियों ने जिंदगानी की मुझे लुभाया नहीं
आज हजारों जिस्मों के बीच मैं रहता हूं मगर
अपनी तन्हाईयों को मैं कभी भूल पाया नहीं
लोग जान दे देते हैं होकर मायूस मोहब्बत में
मगर खुद को कमजोर इतना मैंने बनाया नहीं
होकर बेपरवाह जीवन सदा मैं बिताता रहा
हद से बढ़कर ताल्लुक किसी से निभाया नहीं
मुसीबतें बहुत सारी आईं रास्तों में मगर
राह की दुश्वारियों ने मुझे कभी सताया नहीं
इक उम्र तक बड़ा लम्बा सफर मैं करता रहा
शायद किस्मत ने मंजिल से अभी मुझे मिलाया नहीं।
