जिंदगी हम आपकी
जिंदगी हम आपकी
लोभ-मोह से जो छूट जाए लगाव,
आनंदमय हो जीवन बिन कोई तनाव।
हल हो जाएगी,
हर मुश्किल हम आपकी।
सुखमय हो जाएगी,
जिंदगी हम आपकी।
आनंद क्षणिक देता,
जिसका हैं लोभ करते।
सब झूठ है दिखावा,
हम क्यों नहीं समझते?
लगे जीवन मृषा स्वप्न सा,
नींद खुलती ज्यों हम आपकी।
हल हो जाएगी,
हर मुश्किल हम आपकी।
सुखमय हो जाएगी,
जिंदगी हम आपकी।
मोह झूठा सा आकर्षण,
मन आसक्त जिससे होता।
ज्यों यथार्थानुभूति होती,
है तब पश्चाताप होता।
हो चुकी होती है दुर्गति,
तब तक हम आपकी।
हल हो जाएगी,
हर मुश्किल हम आपकी।
सुखमय हो जाएगी,
जिंदगी हम आपकी।
बिन भेदभाव कोई,
मौत अंत एक सा है करती।
है हर हाल जग ने कहना,
जिससे हर जिंदगी है डरती।
जग की जब हर हाल ही है सुनना,
तो डगर गलत क्यों आपकी?
हल हो जाएगी,
हर मुश्किल हम आपकी।
सुखमय हो जाएगी,
जिंदगी हम आपकी।
नश्वर जगत सकल जब,
क्यों न लोभ-मोह छोड़ें।
एक जननी-जनक हमारे,
सबसे स्नेह -भाव जोड़ें।
निज धर्म से कभी न भटकें,
सच मंजिल मिलेगी आपकी।
हल हो जाएगी,
हर मुश्किल हम आपकी।
सुखमय हो जाएगी,
जिंदगी हम आपकी।
