जिंदगी एक जंग है
जिंदगी एक जंग है
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हर तरफ है मोह माया, फिर काहे का मोह भंग है।।
जिंदगी एक जंग है, लड़ना इसी के संग है।
राजा हो या रंक, कोई नहीं बच पाया है।
जिंदगी के हर कदम पर मौत की दुर्लभ छाया है।।
फिर भी हम बाँटते हैं जिंदगी को, जैसा हमारा ढंग है।
जिंदगी एक जंग है, लड़ना इसी के संग है।।
साधु हो या सन्यासी, ताकतवर या निर्बलवासी।
जाति धर्म के फेर में, फँसे हुए हैं धरतीवासी।।
ये अपना है वो अपने हैं, ऐसे ही जीवन तंग है।
समझना नहीं है एक दूजे को, सब का अपना अपना रंग है।
जिंदगी एक जंग है, लड़ना इसी के संग है।