दिल ए हालात
दिल ए हालात
हम तो बेताब हैं, जिनकी एक झलक पाने को।
मेरे आने की आहट ही, उन्हें नागवार लगती है।।
मै तो आया था जिन्हें, हाल - ए - दिल बयां करने।
वो तो यूं गायब हुए, जैसे यहां पर थे ही नहीं।।
गज़ब के दोस्त हैं अपने, अपने पन की बात करते हैं।
जब बात अपने पर आयी तो, अपने ही गुनहगार हो गए।।
हां, मैं माना कि कसूरवार हूं, हद कर दी बेवकूफी की मैंने।।
गुनाह ए सजा तो होती है, सज़ा ए गुनाह तो बता दो।
इतनी सी बात रख लो, हमारी दोस्ती की।।

