जीवन
जीवन
1 min
405
जीवन को कुछ युँ आकार दो
सपने सब नहीं पर कुछ तो साकार हो
पल पल भले ना
खुशियों की भरमार हो।
पर कभी कभी इस मन का भी सत्कार हो
बिछड़ना चाहे बार बार हो
पर सच्चा प्यार तो एक बार हो
जीतना चाहे बार बार हो।
पर एक बार हार भी स्वीकार हो
कदम लड़खड़ाए बार बार
पर इरादों की ना हार हो
जीने के पल सिर्फ़ चार हो।
पर फिर बाक़ी न
जीवन का कुछ उधार हो
जीना मरना चाहे बार बार हो
पर हिम्मत की न कभी हार हो।